Story in Hindi देवराज ने समझदारी से एक परिवार की जान बचाई - Hindi Kahaniyan हिंदी कहानियां 

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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

Story in Hindi देवराज ने समझदारी से एक परिवार की जान बचाई

Story in Hindi: देवराज ने समझदारी से एक परिवार की जान बचाई

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देवराज का गाँव बहुत सुन्दर था, उसका गाँव इतना अधिक सुन्दर था की दूर-दूर से लोग उसके गाँव में पिकनिक मनाने आया करते थे। उसके गाँव में एक बड़ा बरसाती झरना बहता था, यह झरना लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र था। अधिकतर लोग इसी झरने के किनारे पिकनिक मनाने आते थे। झरने के दूसरी तरफ एक खुला मैदान था, देवराज और उसके दोस्त हर रोज इसी मैदान में क्रिकेट खेलने आते थे। गाँव के सभी लोगों को और विशेषकर बच्चों को यह जगह बहुत पसंद थी, गाँव के सभी बच्चे अपना ज्यादातर समय इसी झरने और खेल के मैदान के आसपास बिताया करते थे।

बालक 

गाँव के उस बरसाती झरने में हमेशा ठीक-ठाक पानी बहता रहता था, क्योकि उस झरने में बाँध से पानी छोड़ा जाता था। गाँव के लोग इस झरने के पानी को सिंचाई के काम में लेते थे। झरने में कई जगह छोटे-छोटे तालाब बने हुए थे, उन तालाबों में गाँव के सभी बच्चे नहाते और मछलियाँ पकड़ते थे। गाँव के अधिकतर लोगों ने इन्हीं तालाबों में खेलकर तैरना सीखा था। गाँव के अधिकतर बच्चे तैरना जानते थे। परन्तु देवराज और उसके दोस्त अभी छोटे थे, इसलिए उनके घरवालों ने उन्हें तालाब में खेलने से मना कर रखा था। इसलिए देवराज और उसके दोस्त मैदान में ही क्रिकेट खेला करते थे।

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देवराज के गाँव का वह झरना कई गाँवों और पहाड़ों से होकर आता था, इसलिए बरसात के दिनों में उस झरने में बहुत अधिक पानी बहता था इसलिए बारिश के मौसम में वह झरना बहुत खतरनाक हो जाता था। इसके अलावा जब किसी दूर के गाँव या पहाड़ों में बारिश होती थी, तो पहाड़ों से बहकर आने वाले उस पानी के कारण उस झरने का जलस्तर अचानक बढ़ जाता था। गाँव में सभी लोग यह बात जानते थे की बारिश के दिनों में यदि गाँव में बारिश नहीं हो रही है तो भी कहीं दूर जगह पर होने वाली बारिश के कारण इस झरने का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, इसलिए बरसात के मौसम में गाँव के लोग इस झरने के नजदीक नहीं जाते थे।


एक दिन की बात है, बारिश का मौसम था, आसमान में छुटपुट बादल थे और बहुत अच्छी धुप निकली हुई थी। छुट्टी का दिन होने के कारण झरने के आसपास बहुत से लोग पिकनिक मनाने आये हुए थे। देवराज और उसके दोस्त भी झरने के पास वाले मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे। बारिश नहीं हो रही थी इसलिए झरने में पानी कम था, इसलिए कई लोग झरने के पानी में उतर कर खेल रहे थे। झरने का आसपास बहुत अच्छा माहौल था, कई लोग अंताक्षरी खेल रहे थे, कुछ लोग सेल्फी ले रहे थे, कुछ लोग खाना बनाने का पूरा सामान लाये थे और यहीं खाना बना रहे थे, कुछ बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे। सभी लोग छुट्टी का आनंद ले रहे थे।


तभी अचानक झरने का जलस्तर बढ़ने लगा, लगता है पहाड़ों में कहीं पर बहुत तेज बारिश हुई थी। वे सभी लोग जो झरने के पानी में खेल रहे थे, अचानक घबरा कर पानी से बाहर आने लगे। उन लोगो के लिए यह बहुत अजीब बात थी की बिना बारिश के झरने का जलस्तर अचानक कैसे बढ़ रहा था। कुछ ही देर में झरने का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ गया, सभी लोग जल्दी से जल्दी पानी से बाहर आने का प्रयास करने लगे। सभी लोग पानी से बाहर आ चुके थे, परन्तु एक परिवार जिसमें माता-पिता और दो छोटी बच्चियाँ थी समय से पानी बाहर नहीं आ सके और झरने के बिच में एक चट्टान के ऊपर फंस गए। वे चारों लोग एक चट्टान के ऊपर खड़े थे और उनके चारों तरफ से झरने का पानी बहुत तेजी से बह रहा था। अब वे लोग वहाँ से नहीं निकल सकते थे क्योकि उस झरने से कुछ मीटर की दुरी पर एक खाई थी जिसमे उस झरने का पानी गिरता था, यदि वे चारों लोग पानी में बह जाते तो वे खाई में गिर सकते थे जिससे उनकी जान भी जा सकती थी।


अब वह परिवार मदद के लिए चिल्लाने लगा, छुट्टी का एक सुहावना दिन एक खौफनाक दिन में बदल चूका था। झरने के उस लरफ  के सभी लोग जमा हो गए और उस परिवार की मदद करने का उपाय सोचने लगे। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था की उस परिवार को पानी से बहार कैसे निकाला जाये। झरने का जलस्तर धीरे-धीरे और अधिक बढ़ता ही जा रहा था। यदि जल्दी ही कुछ न किया गया तो उस परिवार की जान को खतरा हो सकता था।


देवराज और उसके दोस्त जो झरने के दूसरी तरफ मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे, वे सभी झरने के किनारे से यह सब देख रहे थे। वे भी उस परिवार को बचाने का कोई उपाय सोचने लगे। झरने में जिस जगह पर वह परिवार फंसा हुआ था उस जगह से लगभग पचास मीटर पहले झरने के किनारे कुछ खजूर के लम्बे पेड़ खड़े थे, उन पेड़ों को देखकर देवराज से सोचा यदि इन खजूर के पेड़ों में से किसी एक पेड़ को काट कर झरने में गिरा दिया जाये तो वह पेड़ पानी में बहकर उस परिवार तक पहुंच जायेगा जिससे उस परिवार को बचाया जा सकता है।


यह उपाय सूझते ही देवराज ने अपने दोस्तों से कहा तुम लोग उन खजूर के पेड़ों के पास पहुचों तब तक मैं अपने घर से कुल्हाड़ी लेकर आता हूँ। यह कहकर देवराज बहुत तेजी से अपने घर की तरफ दौड़ा, उसका घर वहां से कुछ ही दुरी पर स्थित था। वह अपने घर से दो कुल्हाड़ियाँ लेकर खजूर के पेड़ों के पास पंहुचा जहाँ उसके दोस्त उसका इंतज़ार कर रहे थे। वहाँ पहुंचते ही देवराज ने एक कुल्हाड़ी अपने दोस्त को दी और वे दोनों पेड़ को काटने लगे। वह खजूर का पेड़ बहुत लम्बा और उसका तना बहुत मोटा था।  उस पेड़ को काटना आसान नहीं था, पर देवराज और उसका दोस्त पूरा दम लगाकर जल्दी से जल्दी उस पेड़ को काटकर गिराने की कोशिश कर रहे थे। कुछ देर तक काटने के बाद वे दोनों थक गए। अब देवराज के दो अन्य दोस्त इस पेड़ को काटने लगे। इस प्रकार बारी बारी से देवराज के सभी दोस्तों ने पेड़ को काटने में मदद की। झरने के उस तरफ खड़े सभी लोग दूर से बच्चों को यह काम करते देख रहे थे, और बच्चो की सूझबूझ और उनके प्रयास की तारीफ करने लगे।


बहुत देर तक कड़ी मेहनत करने के बाद आख़िरकार वह पेड़ काटकर झरने में गिर गया, झरने में गिरकर वह पेड़ पानी में बहकर तेजी से उस परिवार की तरफ बढ़ने लगा। पानी में बहता हुआ वह पेड़ उस चट्टान से टकराकर रुक गया जिस चट्टान पर वह परिवार खड़ा था। उस पेड़ की लम्बाई उस झरने की चौड़ाई से अधिक थी, इसलिए उस पेड़ का एक हिस्सा झरने के दूसरे किनारे को छू रहा था, जिसे वहाँ उपस्थित लोगों ने पकड़ लिया। अब उस परिवार के लिए चट्टान से किनारे तक पहुंचने का रास्ता बन गया था। किनारे खड़े लोगों में से कुछ युवक आगे बढे और उस पेड़ के रास्ते उस परिवार तक पहुंचे। सबसे पहले चट्टान पर फंसी दोनों बच्चियों को किनारे पर पहुंचाया गया, उसके बाद उनके माता-पिता को भी किनारे पर सुरक्षित पहुँचाया गया। इस प्रकार अब पूरा परिवार सुरक्षित हो गया था। सभी ने राहत की सांस ली। सभी लोग बहुत खुश थे। वह परिवार जो उस झरने के बिच में फंस गया था उस परिवार ने झरने से उस पार सभी खड़े बच्चों को दूर से ही हाथ जोड़कर धन्यवाद किया और उन्हें दिल से दुआएं दी। उस परिवार ने उन सभी लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने उनकी मदद की थी।


इस घटना के बाद सभी लोग झरने के उस तरफ खड़े बच्चों की बुद्धिमानी और साहस की प्रशंशा करने लगे। बच्चों ने भी दूर से ही हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन स्वीकार किया, और वहां से अपने घरों को लौट गए।


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